Tum To Thehre Pardesi... Altaf Raja

Super hit song of 90's.....
reminds me of my childhood when it used to be played at each nook and corner of streets ...buses....shops....and then the Pooja Pandals...all night long...they were days to cherish for sure and so is this song :)

तुम तो ठहरे परदेसी, साथ क्या निभाओगे...
तुम तो ठहरे परदेसी, साथ क्या निभाओगे...

सुबह पहली... सुबह पहली... सुबह पहली... गाड़ी से घर को लौट जाओगे...

तुम तो ठहरे परदेसी साथ क्या निभाओगे...

जब तुम्हें अकेले में मेरी याद आएगी...
जब तुम्हें अकेले में मेरी याद आएगी...

खीचें खीचें हुए रहेतीं हो क्यों...
खीचें खीचें हुए रहेतीं हो ध्यान किसका हैं...
ज़रा बताओ तो यह इम्तिहान किसका हैं...
हमें भुला दो मगर यह तो याद ही होगा... हमें भुला दो मगर यह तो याद ही होगा...
नयी सड़क पे पुराना मकान किसका हैं...

जब तुम्हें अकेले में मेरी याद आएगी...
आसुओं की... आसुओं की...
आसुओं की बारिश में तुम भी भीग जाओगे...
आसुओं की बारिश में तुम भी भीग जाओगे...

गम के धूप में दिल की हसरतें ना जल जाए...
गम के धूप में दिल की हसरतें ना जल जाए...

तुझको यह तुझको देखेंगे सितारें तो ज़िया माँगेंगे...
तुझको देखेंगे सितारें तो ज़िया माँगेंगे...
और प्यासे तेरी ज़ुल्फो से घटा माँगेंगे...
अपने काँधे से दुपपता ना सरकने देना...
वरना बूढ़े भी जवानी की दुवा माँगेंगे...
ईमान से...

गम के धूप में दिल की हसरतें ना जल जाए...
गम के धूप में दिल की हसरतें ना जल जाए...

गेसुओ के... गेसुओ के... साए में कब हमें सुलाओगे...
गेसुओ के... गेसुओ के... साए में कब हमें सुलाओगे...

तुम तो ठहरे परदेसी, साथ क्या निभाओगे...

मुझको कत्ल कर डालो शौक से मगर सोचो...
मुझको कत्ल कर डालो शौक से मगर सोचो...

इस शहरे नामुराद की इज़्ज़त करेगा कौन...
अरे हम ही चले गये तो मोहब्बत करेगा कौन...
इस घर की देखभाल को वीरानियाँ तो हो..
जाले हटा दिए तो हिफ़ाज़त करेगा कौन...

मुझको कत्ल कर डालो शौक से मगर सोचो...
मेरे बाद... मेरे बाद... तुम किस पर ये बिजलियाँ गिरावगे...

तुम तो ठहरे परदेसी, साथ क्या निभाओगे...

यू तो ज़िंदगी अपनी मयकदे में गुज़री हैं...
यू तो ज़िंदगी अपनी मयकदे में गुज़री हैं...

अश्को में हुसनो रंग समेट रहा हू मैं...
आँचल किसी का थाम के रोता रहा हू मैं...
निखरा हैं जाके अब कही चेहरा शहूर का...
बरसो इसे शराब से धोता रहा हू मैं...

यू तो ज़िंदगी अपनी मयकदे में गुज़री हैं...
बहकी हुई बहार ने पीना सीखा दिया...
बदमस्त बरगो बार ने पीना सीखा दिया...
पीता हूँ इस गरज से के जीना हैं चार दिन...पीता हूँ इस गरज से के जीना हैं चार दिन...
मरने के इंतेजार ने पीना सीखा दिया...

यू तो ज़िंदगी अपनी मयकदे में गुज़री हैं...
इन नशीली... इन नशीली... इन नशीली... आँखों से कब हमें पीलाओगे...
इन नशीली आँखों से कब हमें पीलाओगे...
तुम तो ठहरे परदेसी, साथ क्या निभाओगे...

क्या करोगे तुम आख़िर क़ब्र पर मेरी आकर...
क्या करोगे तुम आख़िर क़ब्र पर मेरी आकर...

क्यों के जब तुमसे इतेफ़ाक़न... जब तुमसे इतेफ़ाक़न... मेरी नज़र मिली थी...
अब याद आ रहा हैं... शायद वो जनवरी थी...
तुम यूँ मिली दुबारा... फिर माहे फ़रवरी में...
जैसे के हमसफ़र हो... तुम राहें ज़िंदगी में...
कितना हसीन ज़माना... आया था मार्च लेकर...
राहें वफ़ा पे थी तुम... वादों की टॉर्च लेकर...
बाँधा जो अहदे उलफत... अप्रैल चल रहा था...
दुनिया बदल रही थी... मौसम बदल रहा था...
लेकिन माई जब आई... जलने लगा ज़माना...
हर श्कस की ज़बान पर... था बस यही फसाना...
दुनिया के दर्र से तुमने... बदली थी जब निगाहें...
था जून का महीना... लब पे थी गर्म आहें...
जुलाई में जो तुमने... की बातचीत कुछ कम...
थे आसमान पे बादल... और मेरी आँखें पूरनम...
माहे अगस्त में जब... बरसात हो रही थी...
बस आसुओं की बारिश... दिन रात हो रही थी...
कुछ याद आ रही हैं... वो माह था सितंबर...
भेजा था तुमने मुझको... करके वफ़ा का लेटर...
तुम गैर हो रही थी... ओक्टूबर आ गया था...
दुनिया बदल चुकी थी... मौसम बदल चुका था...
जब आ गया नवंबर... ऐसी भी रात आई...
मुझसे तुम्हें छुड़ाने... सजकर बारात आई...
बेखैफ़ था दिसंबर... ज़ज्बात मार चुके थे...
मौसम था सर्द उसमें... अरमान बिखर गये थे...

लेकिन यह क्या बताउन अब हाल दूसरा हैं...
लेकिन यह क्या बताउन अब हाल दूसरा हैं...

लेकिन यह क्या बताउन अब हाल दूसरा हैं...
अरे वो साल दूसरा था यह साल दूसरा हैं...


क्या करोगे तुम आख़िर क़ब्र पर मेरी आकर...
थोड़ी देर... थोड़ी देर... थोड़ी देर... रो लोगे और भूल जाओगे...

तुम तो ठहरे परदेसी साथ क्या निभाओगे...
तुम तो ठहरे परदेसी साथ क्या निभाओगे...

सुबह पहली गाड़ी से घर को लौट जाओगे...
सुबह पहली गाड़ी से घर को लौट जाओगे...

-- Kalingaa...
Keep Smiling :)

Step....

It's a bright sunny day in desert, time is of holy month
I get to know importance of faith in religion
From a window of my flat,
I can see people who have faith on God,
still they are running to do one more fraud
it's contradiction of human character.
we want to get more to be satisfied
we cheat others and still want to be purified
we get cheated and want others to be crucified

Every religion tells human about humanity
Every religion speaks of purification by fasting
still we try to get extra luxury
and don't care about broken bonds which could have been everlasting.

I want to take one step towards truth
the step taken by Ashoka into the battlefield of Kalingaa
I am not so strong & stone-willed
I feel weak and disheartened because I can't change the world
But I take a pledge that I'll move myself towards the right path
May be I won't become a shining star or a legend
but I'll be forgotten as a good man.

I want to take one step towards truth...

-- Kalingaa...
(culmination of thoughts in one lonely day at shores of Persian gulf)...