दो अश्क मेरी याद में बह जाते तो क्या जाता
चंद कलियाँ लाश पे बिछा जाते तो क्या जाता
आये हो मैय्यत पर सनम, ओढ़ कर नकाब तुम
अगर यह चाँद सा चेहरा दिखा जाते तो क्या जाता
पूछेंगे जब लोग तुमसे, किसका था यह जनाज़ा
बेनाम रिश्ते तो एक नाम दे जाते तो क्या जाता
सबके सामने मेरे इश्क को रुशवा कर दिया
नज़र की बेवफाई छुपा जाते तो क्या जाता
हर ज़ख्म ने मेरे, तुम्हे ही हैं दुआ उम्र भर की
इस बार महलम का नाम भी लेते तो क्या जाता
तुम्हे याद करते करते ज़िन्दगी दे दी कलिंग ने
इक चिराग तन्हा मजार ओए जला जाते तो क्या जाता
#Kalingaa...
चंद कलियाँ लाश पे बिछा जाते तो क्या जाता
आये हो मैय्यत पर सनम, ओढ़ कर नकाब तुम
अगर यह चाँद सा चेहरा दिखा जाते तो क्या जाता
पूछेंगे जब लोग तुमसे, किसका था यह जनाज़ा
बेनाम रिश्ते तो एक नाम दे जाते तो क्या जाता
सबके सामने मेरे इश्क को रुशवा कर दिया
नज़र की बेवफाई छुपा जाते तो क्या जाता
हर ज़ख्म ने मेरे, तुम्हे ही हैं दुआ उम्र भर की
इस बार महलम का नाम भी लेते तो क्या जाता
तुम्हे याद करते करते ज़िन्दगी दे दी कलिंग ने
इक चिराग तन्हा मजार ओए जला जाते तो क्या जाता
#Kalingaa...
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