Aarambh....

आरम्भ है प्रचंड,बोले मस्तकों के झुंड
आज ज़ंग की घडी की तुम गुहार दो
आन बान शान या की जान का हो दान
आज एक धनुष के बान पे उतार दो
आरम्भ है प्रचंड,बोले मस्तकों के झुंड...

मन करे सो प्राण दे, जो मन करे सो प्राण ले
वही तो एक सर्व शक्तिमान है...
इशर की पुकार है, यह भगवत का सार है
के युद्ध ही तो वीर का प्रमाण है...
कौरवो की भीड़ हो या पांडवो का नीड़ हो
जो लड़ सका है वो ही तो महान है...
जीत की हवस नहीं, किसी पे कोई वश नहीं
क्या ज़िन्दगी है ठोकरों पे मार दो...
मौत अंत है नहीं तो मौत से भी क्यों डरे?
यह जाके आसमान में दहाड़ दो...

आरम्भ है प्रचंड, बोले मस्तकों के झुंड

हो दया का भाव याकी शौर्य का चुनाव
याकी हार का वो घाव, तुम यह सोच लो...
याकी पूरे भाल भर जला रहे विजय का लाल
लाल यह गुलाल, तुम यह सोच लो...
रंग केसरी हो या मृदंग केसरी हो याकि
केसरी हो लाल, तुम यह सोच लो...

जिस कवि की कल्पना में ज़िन्दगी हो प्रेम गीत
उस कवि को आज तुम नकार दो...
भीगती नस्सो में आज, फूलती रगों में आज
आज आग की लपट का तुम बघार दो...

आरम्भ है प्रचंड,बोले मस्तकों के झुंड
आज ज़ंग की घडी की तुम गुहार दो...
आन बान शान या की जान का हो दान
आज एक धनुष के बान पे उतार दो...
आरम्भ है प्रचंड,बोले मस्तकों के झुंड

-- a song from movie GULAAL

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