इस ज़माने में ना कोई हम शिकवा रखेंगे
दिल लगाएँगे मगर वफ़ा की शर्त ना रखेंगे
ना ही दिखाएँगे कभी दिल पे लगे ज़ख़्म
तूफान उठेगा दिल में तो हम दबा ही देंगे
सब हटा देंगे तेरी राह की रुकावटें हमदम
दिल के दरवाज़े हर वक़्त खुला रखेंगे हमदम
आपकी हर बात को भूले ना भूलेंगे कभी
सीने से लगाकर रखेंगे उनकी यादें सभी
टूट भी जाएगी उम्मीदें जो तेरे आने की 'रूपाली'
एक दिया फिर भी मंझधार में जला के रखेंगे
-- Kalingaa...
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