कभी आयतो में पढ़ा तुझे, कभी हरफ़ हरफ़ लिखा तुझे
कभी दिल से तुझको पुकार के, कोई शेर अपना कोई सुना दिया
भुला दिया, भुला दिया, तेरे इश्क़ में खुद को भुला दिया
यह अजीब इश्क़ के खेल है, जहाँ लज़्जतों में कमी नहीं
कभी मैने तुझको हंसा दिया, कभी तूने मुझको रुला दिया
भुला दिया, भुला दिया, तेरे इश्क़ में खुद को भुला दिया
बेखुदी में मज़ा आ रहा है बड़ा, दिल तबाह है तो क्या
बेखुदी में मज़ा आ रहा है बड़ा, दिल तबाह है तो क्या
तेरी राह से जो निकल गये, वो दीवाने बनके मचल गये
कभी हमने की तेरी आरज़ू, तो बता दे यह क्या गुनाह किया
भुला दिया, भुला दिया, तेरे इश्क़ में खुद को भुला दिया
कभी आयतो में पढ़ा तुझे, कभी हरफ़ हरफ़ लिखा तुझे
कभी दिल से तुझको पुकार के, कोई शेर अपना कोई सुना दिया
भुला दिया, भुला दिया, तेरे इश्क़ में खुद को भुला दिया
-- Kalingaa...
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