बस एक लम्हे का झगड़ा था-- Kalingaa...
दर-ओ-दीवार पे ऐसे छनके से गिरी आवाज़
जैसे काँच गिरता है
हर एक शय मे कई उड़ती हुई जलती हुई गिरजे...
नज़र मे, बात मे, लहजे मे, सोच और समझ के अंदर....
लहू होना था एक रिश्ते का
सो वो हो गया उस दिन
उसी आवाज़ के टुकड़े उठाके फर्श से उस शब
किसी ने काटली नब्ज़े
ना की आवाज़ तक कुछ भी
कि कोई जाग ना जाए
बस..एक लम्हे का झगड़ा था
बस..एक लम्हे का झगड़ा था
Recited by Dia Mirza in 'Dua Kahaniyan'
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