कभी यहां तुम्हें ढूंढा, कभी वहां पहुंचा, तुम्हारी दीद की खातिर, कहां कहां पहुंचा, ग़रीब मिट गए, पामाल हो गए, लेकिन किसी तलक ना तेरा आज तक निशां पहुंचा, | Sometimes I looked for you here, and some times there To have your sight I’ve been ruined and I’ve everywhere The dear ones vanished, but No one got a lead to you |
हो भी नहीं और हरजां हो… तुम एक गोरखधंधा हो… | You are not, yet you are at every place, You are a puzzle |
हर जर्रे में किस शान से तू जलनानुमा है हैरान हैं मगर अक्ल कि कैसा है तू क्या है तुम एक गोरखधंधा हो… | With what splendour you can be seen in every speck But the mind is puzzled what you look like and what you are You are a puzzle |
तुझे दैरो-हरम में मैने ढूंढा तू नहीं मिलता मगर तसरीफरमा तुझको अपने दिल में देखा है तुम एक गोरखधंधा हो… | I looked for you in the houses of worship, but couldn’t find you Yet I found you residing in my heart, You are a puzzle |
ढूंढे नहीं मिले हो ना ढूंढे से कहीं तुम और फिर ये तमाशा है, जहाँ हैं हम वहीं तुम तुम एक गोरखधंधा हो… | I couldn’t find you anywhere But the spectacle is that You are there, where we are You are a puzzle |
जब बजुज़ तेरे कोई दूसरा मौजूद नही, फिर समझ में नही आता तेरा परदा करना तुम एक गोरखधंधा हो… | If there is none but you Then I cannot understand why veil Yourself You are a puzzle |
हरम-ओ-दैर में है जल्वा पुरफ़न तेरा दो घरों का है चरागे-कुर्खन तेरा तुम एक गोरखधंधा हो… | You manifest-in the houses of worship Your light is resplendent in these places You are a puzzle |
जो उल्फत में तुम्हारी खो गया है, उसी खोए हुए को कुछ मिला है, न बुतखाने ना काबे में मिला है, मगर टूटे हुए दिल में मिला है, अदम बन कर कहीं तू छुप गया है कही तू हस्त बन कर आ गया है नहीं है तू तो फिर इंकार कैसा, नफीदी तेरे होने का पता है मैं जिसको कह रहा हूं अपनी हस्ती अगर वो तू नहीं तो और क्या है नहीं आया ख्यालों में अगर तू तो फिर मैं कैसे समझा तू खुदा है ! तुम एक गोरखधंधा हो… | He who is lost in your love, He is rewarded You could not be found either in a temple or Ka’bah But you could be found in a broken heart Sometimes you are hidden as non-existence and somewhere you appear as existence If you are not then why deny? Even the negation confirms your existence The one I call my Existence who is that if not you? If you didn’t come in my thoughts Then how did I learn you are God? You are a puzzle |
हैरान हूं इस बात पर तुम कौन हो क्या हो हाथ आओ तो बुत हाथ ना आओ तो खुदा हो तुम एक गोरखधंधा हो… | What puzzles me is who and what are You You’re an idol when You come by and if not then You are God You are a puzzle |
अक्ल में जो घिर गया लाइनतहा क्योंकर हुआ जो समझ में आ गया फिर वो खुदा क्योंकर हुआ तुम एक गोरखधंधा हो… | How did the one who entered wisdom could become Everlasting? How did one who comes into mind’s grasp become God You are a puzzle |
फलसफी को बहस के अंदर खुदा मिलता नहीं डोर को सुलझा रहा है और सिरा मिलता नहीं तुम एक गोरखधंधा हो… | The philosopher doesn’t find God in an argument He is trying to untangle the cord but cannot find the top You are a puzzle |
पता यूं तो बता देते हो सबको ला-मकां अपना ताज्जुब है मगर रहते हो तुम टूटे हुए दिल में तुम एक गोरखधंधा हो… | You tell all You are homeless But surprisingly You dwell in a broken heart You are a puzzle |
जब के तुझ बिन कोई नहीं मौजूद फिर ये हंगामा ऐ खुदा क्या है तुम एक गोरखधंधा हो… | If there is none but You O God, Then what is all this commotion about? You are a puzzle |
छुपते नहीं हो सामने आते नहीं हो तुम जलवा दिखा के जलवा दिखाते नहीं हो तुम दैरोहरम के झगड़े मिटाते नहीं हो तुम जो अस्ल बात है वो बताते नहीं हो तुम हैरान हूं मेरे दिल में समाए हो किस तरह हालांकि दो जहां में समाते नहीं हो तुम ये माबदोहरम ये कलीसाओदैर क्यूं ? हरजाई हो जबी तो बताते नहीं हो तुम तुम एक गोरखधंधा हो… | You don’t hide, You don’t show Yourself You show the manifestation but don’t show Yourself You don’t remove the conflicts of the manner of worship You don’t reveal the exact things I’m surprised how You accommodated in my heart? When the two worlds are not enough for You You are in the houses of worship You are faithless for not showing Your countenance You are a puzzle |
दिल पर हैरत ने अजब रंग जमा रखा है एक उलझी हुई तस्वीर बना रखा है कुछ समझ में नहीं आता कि ये चक्कर क्या है खेल क्या तुमने अज़ल से ये रचा रखा है रुह को जिस्म के पिंजरे का बना कर क़ैदी उस पर फिर मौत का पहरा भी बिठा रखा है देके तदवीर के पंछी को उड़ाने तूने दामे तकबीर भी हरसंत बिछा रखा है करके आरायशी को नैनकी बरसों तुमने ख़त्म करने का भी मंसूबा बना रखा है लामकानी का भी बहरहाल है दावा भी तुम्हें नानो अकरब का भी पैग़ाम सुना रखा है ये बुराई, वो भलाई, ये जहन्नुम, वो बहिश्त इस उलटफेर में फरमाओ तो क्या रखा है जुर्म आदम ने किया और सज़ा बेटों को अदलो इंसाफ का मियार भी क्या रखा है देके इंसान को दुनिया में खलाफत अपनी इक तमाशा सा जमाने में बना रखा है अपनी पहचान की ख़ातिर है बनाया सबको सबकी नज़रो से मगर खुदको छुपा रखा है तुम एक गोरखधंधा हो… | The puzzle taken strange possession of my heart A confused picture it’s drawn within it I do not understand what all this puzzle is What is this game You’ve been playing since the beginning of time You made the soul the prisoner of the body’s cage and then put the guard of death on it You make the bird of contrivance fly ‘ yet you’ve spread the net of fate everywhere For years you adorned the world and hereafter yet you have also made the plan of destruction Though you claim to be homeless Yet you preached about home, kith and kin This is bad, this good, this is hell, this is heaven Please tell me what is in this perplexity? For Adam’s crime you punish his children Is that the standard of your justice? By giving the earthly vicegerency to the man, You have made it into a spectacle For Your own recognition you created all But you hide yourself from all You are a puzzle |
नित नए नक्श बनाते हो मिटा देते हो जाने किस जुर्मेतमन्ना की सज़ा देते हो कभी कंकड़ को बना देते हो हीरे की कणी, कभी हीरों को भी मिट्टी में मिला देते हो जिंदगी कितने ही मुर्दों को अता की जिसने वो मसीहा भी सलीबों पे सजा देते हो ख्वाहिशेदीद जो कर बैठे सरेतूर कोई तूर ही बरके तजल्ली से जला देते हो नारेनमरुद में डलवाते हो फिर खुद अपना ही खलील खुद ही फिर नार को गुलजार बना देते हो चाहे किन आन में फेंको कभी महिनकेन्हा नूर याकूब की आंखो का बुझा देते हो लेके यूसुफ को कभी मिस्र के बाज़ारों में आख़िरेकार शहे-मिस्र बना देते हो जज़्बे मस्ती की जो मंज़िल पर पहुंचता है कोई बैठ कर दिल में अनलहक की सज़ा देते हो खुद ही लगवाते हो फिर कुफ्र के फतवे उस पर खुद ही मंसूर को सूली पे चढ़ा देते हो अपनी हस्ती भी वो एक रोज़ गवां बैठता है अपने दर्शन की लगन जिसको लगा देते हो कोई रांझा जो कभी खोज में निकले तेरी तुम उसे जंग के बेले में रुला देते हो जूस्तजू लेकर तुम्हारी जो चले कैस कोई उसको मजनूं किसी लैला का बना देते हो जोतसस्सी के अगर मन में तुम्हारी जागे तुम उसे तपते हुए थल में जला देते हो सोहनी गर तुमको महिवाल तस्सवुर करले उसको बिफरी हुई लहरों में बहा देते हो खुद जो चाहो तो सरेअस्र बुला कर मेहबूब एक ही रात में मेहराज़ करा देते हो तुम एक गोरखधंधा हो… | You draw and erase yourself I don’t know which crime of desire you punish us Sometimes you’ll turn a pebble into a diamond Other times you’ll turn a diamond into dust The one who revived many dead You made him to adorn the crucifix The one that longed to have your sight on the Mount Sinai You reduced the Mount to ashes with the Lightning of your Manifestation You wished Abraham to be thrown into Nimrud’s Fire Then you turned that fire into flowers yourself Sometimes you throw a Canaanite into the well of Canaanites And then deprive Jacob of his sight You make Joseph to be put into the slave-mart of Egypt And then you also make him the king of Egypt When someone reaches to the destination of higher spirituality You make him to voice: I’m the Truth Then allow the verdicts of infidelity against Him You send yourself Mansoor to the crucifix One day he too loses his life Whom You make to see Your sight If a Ranjha goes in Your quest You make him in the charity of Jhang If some Majnun goes in Your quest You make him a beloved of some Laila If Your love awakens in Sassi’s heart You scorch her in a burning desert If Sohni imagined you as her Mahinval You drowned her into the ragging currents You do as You wish by summoning to the Heaven And in a single night You can make the Prophet’s Accession to Heaven You are a puzzle |
आप ही अपना पर्दा हो… तुम एक गोरखधंधा हो… | You’re Your Veil You are a puzzle |
जो कहता हूं माना तुम्हें लगता है बुरा सा फिर है मुझे तुमसे बहरहाल गिला सा चुपचाप रहे देखते तुम अर्से बरी पर तपते हुए कर्बल में मोहम्मद का नवासा किस तरह पिलाता था लहू अपना वफा को खुद तीन दिनों से अगर वो चे था प्यासा दुश्मन तो बहुत और थे पर दुश्मन मगर अफ़सोस तुमने भी फराहम ना किया पानी ज़रा सा हर जुर्म की तौफीक है जालिम की विरासत मजलूम के हिस्से में तसल्ली ना दिलासा कल ताज सजा देखा था जिस शख्स के सर पर है आज उसी शख्स के हाथों में ही कांसा ये क्या अगर पूछूं तो कहते हो जवाबन इस राज़ से हो सकता नहीं कोई शनासा तुम एक गोरखधंधा हो…तुम एक गोरखधंधा हो… तुम एक गोरखधंधा हो… | I accept what I say You mind it a little But still I’ve a little complaint to make You sat quiet on your Throne and watched Muhammad’s grandson the scorching desert of Karbala How he was giving his blood for Your Love though he was thirsty for three days His enemies were after all enemies, but it’s sad even you didn’t
provide him with a little Water Every favour of oppression is the inheritance of the oppressor But the oppressed is neither consoled nor comforted Yesterday he who had a crown on his head Today I see him with a begging bowl What is this? If I ask, your answer is That no one can get acquainted with this secret You are a puzzle |
हैरत की एक दुनिया हो तुम एक गोरखधंधा हो… | You are a world of astonishment You are a puzzle |
हर एक जां पे हो लेकिन पता नीं मालूम तुम्हारा नाम सुना है, निशां नहीं मालूम तुम एक गोरखधंधा हो… | You are Omnipresent but I do not know where I have heard your name but I do not know your location You are a puzzle |
दिल से अरमां निकल जाए तो जुगनू हो जाए आंखो में सिमट आए तो आंसू हो जाए जां पे यां हू का बे हू करे जो हू में खो कर उसको सुल्तानियां मिल जाए वो बाहू हो जाए बाल भी बांका ना हो किसी का छुरी के नीचे असगर में कभी तीर तराज़ू हो जाए तुम एक गोरखधंधा हो… | Once the heart’s wish is fulfilled it glows And when eyes are gratified they are filled With tears When a person is lost in spiritual love He is elevated and becomes like Bahu the poet No one comes to harm under a dagger But the arrow in an infant’s throat becomes the scale of justice You are a puzzle |
किस कद्र बेनियाज़ हो तुम भी दास्ताने-नियाज़ हो तुम भी तुम एक गोरखधंधा हो… | How carefree you are. A long story you are You are a puzzle |
रूह को जिस्म के पिंजरे का बनाकर कैदी उसपे फिर मौत का पहरा भी बिठा रखा है! ये बुराई, वो भलाई, ये जहन्नुम, वो बहिश्त इस उलट-फेर में फ़र्माओ तो क्या रखा है? अपनी पहचान की खातिर है बनाया सबको सबकी नज़रों से मगर खुद को छुपा रखा है! तुम एक गोरखधंधा हो… |
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राह-ए-तहक़ीक़ में हर ग़ाम पे उलझन देखूँ वही हालात-ओ-खयालात में अनबन देखूँ बनके रह जाता हूँ तसवीर परेशानी की ग़ौर से जब भी कभी दुनिया का दर्पन देखूँ एक ही ख़ाक़ पे फ़ित्रत के तजादात इतने! इतने हिस्सों में बँटा एक ही आँगन देखूँ! कहीं ज़हमत की सुलग़ती हुई पत्झड़ का समा कहीं रहमत के बरसते हुए सावन देखूँ कहीं फुँकारते दरिया, कहीं खामोश पहाड़! कहीं जंगल, कहीं सहरा, कहीं गुलशन देखूँ ख़ून रुलाता है ये तक़्सीम का अन्दाज़ मुझे कोई धनवान यहाँ पर कोई निर्धन देखूँ दिन के हाथों में फ़क़त एक सुलग़ता सूरज रात की माँग सितारों से मुज़ईय्यन देखूँ कहीं मुरझाए हुए फूल हैं सच्चाई के और कहीं झूठ के काँटों पे भी जोबन देखूँ! रात क्या शय है, सवेरा क्या है? ये उजाला, ये अंधेरा क्या है? मैं भी नायिब हूँ तुम्हारा आख़िर क्यों ये कहते हो के “तेरा क्या है?” तुम इक गोरखधंधा हो… | Inquiring about you cause confusion at Every step I see discord between the circumstances and Ideas I become a picture of distress Whenever I see in the mirror of the world I see so many contradictions in a single eye I see one place divided into so many parts Somewhere I see the autumnal smoke of hardship and somewhere I see the monsoon showers of blessing Here I see hissing rivers and there silent Mountains Here I see a forest, there I see a desert and somewhere else I see a
garden This style of division writhes me I see some rich and some poor here In Day’s share, I see only one sun shinning While the night is bedecked with millions of stars Here I see the withered flowers of truth There I see the thorns of lies abloom Somewhere I see Shamas skinned alive Somewhere I see Sarmad’s head severed What is night? What is morning? What is light? What is darkness? After all I’m also your deputy, Why You say “what is yours?” You are a puzzle |
देखने वाला तुझे क्या देखता तूने हर रंग से पर्दा किया है तुम इक गोरखधंधा हो… | What would a person see of you? You are veiled in every way You are a puzzle |
मस्ज़िद मंदिर ये मयख़ाने कोई ये माने कोई वो माने सब तेरे हैं जाना पास आने कोई ये माने कोई वो माने इक होने का तेरे कायिल है इंकार पे कोई माईल है असलियत लेकिन तू जाने कोई ये माने कोई वो माने एक खल्क में शामिल रहता है एक सबसे अकेला रहता है हैं दोनो तेरे मस्ताने कोई ये माने कोई माने हे सब हैं जब आशिक तुम्हारे नाम का क्यूं ये झगड़े हैं रहीमो-राम के तुम एक गोरखधंधा हो…. | These mosques, temples and taverns Some believe in this and some believe in that All are your abodes dear, Some believe in this and some believe in that We are convinced of your Oneness Someone leans towards negation But You know the truth Someone believes in this and someone believes in that One includes him with the creation The other stays aloof from all Both are Your devotees Some believe in this and some believe in that If all are the devotees of your name Then why the conflict of your names? You are a puzzle |
दैर में तू हरम में तू, अर्श पे तू ज़मीं पे तू जिसकी पहुंच जहाँ तलक उसके लिए वीं पे तू हर इक रंग में यक़्ता हो तुम एक गोरखधंधा हो… | You are in every house of worship You are in both the worlds wherever one is You are there for him In everywhere You are Unique You are a puzzle |
मरकजे जूस्तजू आलमे रंगवू तमवदन जलवगर तू ही तू जारसू टूटे बाहाद में कुछ नहीं इल्लाहू तुम बहुत दिलरुबा तुम बहुत खूबरू अर्ज की अस्मतें फर्श की आबरु तुम हो नैन का हासने आरजू आंख ने कर कर दिया आंसुओ से वजू अब तो कर दो अता दीद का एक सगुन आओ परदे से तुम आँख के रुबरु चंद लमहे मिलन दो घड़ी गुफ्तगू नाज जबता फिरे जादा जातू बकू आहदाहू आहदाहू हे लासरीकालाहू लासरीकालाहू अल्लाहू अल्लाहू अल्लाहू अल्लाहू | You are the centre of our quest, the world of colour and scent You manifest all the time, You are Omnipresent In Bahu’s surrounds there is only You You are the beloved, very Handsome You are the Glory and Honour of the Heavens You are the gain of longings of the two worlds You gave eyes and makes us perform ablution with the tears Now give us a flask of your manifestation Come out of the veil before me For a short meeting and a conversation Naaz will tell his beads place to place, street to street Allah is one, He has no partner Allahu, Allahu, Allahu |