TV is enforced leisure (or evil)?

Sometime back I thought to get rid of cable connection and live a life without idiot box. It's obligatory to have a TV at home and to know whats happening with all the soap-operas, reality TV and Baba Ramdev.

First couple of days were awfully long and full of boredom (or rather curiosity to know the happenings and breaking news) and made me question the decision of doing away all the linkage I'd with the outside.

I took a step back andstarted utilizing the spare (lotsa) time for my long overdue hobbies : a long list of books, blogging and cooking (yeah :D).

The books which I wanted to read all along but sacrificed for pot-boiler crap of Infotainment (India TV leading the list and Zee Cinema close by). Now I'm on roll to read as much as I can and as fast as I can. So much so that the flipkart delivery team and nearby landmark folks personally recommend me books in the genre I prefer.

Blogging on the alternative to the discussion I'd to bear on all News channels, all the topics irrelevant to me but discussed over national TV. On blogging site I can brag out on anything and everything I'm concerned with. I can promise to whomsover is reading this that I'll keep on putting all random thoughts on keyboard.

Cokking was another thing which I wanted to do but never had guts to takeup same like TV bahu's fear of Saas. But it was the time to take the step and what a great work it is. Started with burnt, foul taste and half-cooked food but moved on quickly to bearable ones.

Still a long way to go and put more thoughts on all the things I've taken but so far it has been awesome time... More updates to come on these superhit after-effects of TV's death in my house...

-- Kalingaa...
एक दिन तुझसे मिलने ज़रूर आऊंगा, ज़िन्दगी मुझको तेरा पता चाहिए....

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कोशिश के बावजूद यह उल्लास रह गया.... हर काम में हमेशा कोई काम रह गया...

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Kalingaa...

Was it worth it?

Tell me was it worth it? (Worth it all)
Tell me was it worth it? (Worth it all)

Before you were no good. You used to be so good.
And then you changed and flipped on me.
So tell me what's the reason all this time you've been preaching, acting like you know Everything.

Look into my eyes.... and tell me what you see.
Was what you got worth losing me?
Now all our lies has caught up wit our game.
It's a different picture, but in the same old frame.
Tell me was it...

Tell me was it worth it, now that it's said and done?
Oh, did you find what you were looking for?
Tell me was it worth it, oh boy that's all I want.
Is just tell me the truth and nothing more.
I gave all I could give you changed it all up for you.
But we didn't sacrifice for. So is it for the moment?
Are you really on it? Either way you ain't thinkin bout me.
Look into my eyes.
And tell me do you see... can you see the pain that you caused on me?
It's not the same. We'll never be that way again.
Cuz you can't take back those tears.
Please tell me...

Tell me was it worth it, now that it's said and done?
Oh, did you find what you were looking for?
Tell me was it worth it, oh boy that's all I want.
Was it worth it, that's all I want from you.

Is just tell me the truth and nothing more.
Don't be confused and think that I wanna be back in your arms because we closed that door.
So don't be confused at all, we closed that door

Tell me was it worth it, for you to make that change?
Tell me was it worth it. And play that game with me.
Tell me was it worth it, now that it's said and done?
Was it worth it? Worth it all.
The life we built hey, said and done.

Oh, did you find what you were looking for?
Tell me was it worth it, oh boy that's all I want.
Is just tell me the truth and nothing more.

Single by : Pet Shop Boys
Writers : Neil Tennant, Chris Lowe

-- Kalingaa...

Hum Na Samjhe The...

हम ना समझे थे बात इतनी सी
ख्वाब शीशे के, दुनिया पत्थर की

आरज़ू हमने की तो गम पाए
आरज़ू हमने की तो गम पाए
रोशनी साथ लाई थी साए
साए गहरे थे, रोशनी हल्की

हम ना समझे थे बात इतनी सी
ख्वाब शीशे के, दुनिया पत्थर की

सिर्फ़ वीरानी सिर्फ़ तन्हाई
सिर्फ़ वीरानी सिर्फ़ तन्हाई
ज़िंदगी हमको ये कहाँ लाई?
खो गयी हमसे राह मंज़िल की

हम ना समझे थे बात इतनी सी
ख्वाब शीशे के, दुनिया पत्थर की

क्या कोई बेचे क्या कोई बाँटे
क्या कोई बेचे क्या कोई बाँटे
अपने दामन में सिर्फ़ हैं काँटे
और दुकानें हैं सिर्फ़ फूलों की

हम ना समझे थे बात इतनी सी
ख्वाब शीशे के, दुनिया पत्थर की
-- Kalingaa...

Majbooriyan (मजबूरियाँ)...

कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी,
यूँ कोई बेवफ़ा नहीं होता।

तुम मेरी ज़िन्दगी हो, ये सच है,
ज़िन्दगी का मगर भरोसा क्या।

जी बहुत चाहता है सच बोलें,
क्या करें हौसला नहीं होता।

वो चाँदनी का बदन खुशबुओं का साया है,
बहुत अज़ीज़ हमें है मगर पराया है।
-- Kalingaa...
बड़ा अंधेरा था उनकी राहों मे 'फ़राज़'...
मैं अपना घर ना जलाता तो और क्या करता?

-- Kalingaa...

Hum se na sahi Gairon se Sahi... (हम से ना सही गैरों से सही....)

Taken from lyrics of a classic Bolly phone...

हम से ना सही गैरों से सही, तुम्हे दिल का लगाना आ तो गया
दुनिया में किसी के हो तो गये, तुम्हे प्यार निभाना आ तो गया

बैठे हो किसी के पहलू में, आँखो में चमकता प्यार लिए
हम खुश हैं किसी के जीवन में, ये वक़्त सुहाना आ तो गया

फूलों के ख्वाब दिखाए मुझे, और दे दी बहारें औरों को
दिल मेरा वीरान रहा तो क्या, गुल तुम को खिलाना आ तो गया

दुनिया में किसी के हो तो गये, तुम्हे प्यार निभाना आ तो गया
-- Kalingaa...

Khud Se bhi Khafa Hun (खुद से भी खफा हूँ)...

वक़्त ने सब कुछ दिया, फिर भी कलिंग सा अधूरा हूँ
जान लो कि ज़ज़्बात, दिल और सीरत से भी बुरा हूँ

गुमनाम इस दुनिया में ही नहीं, खुद से भी खफा हूँ
मत कर मुझसे अहसास की आस, मैं तो बेवफा हूँ

खुद से दूर होते होते अंदर कुछ टूट सा गया है
इस रफ़्तार की ज़िंदगी में हर अपना छूट सा गया है

चारों तरफ दौड़ती भीड़ में तन्हाई सी लगती है
किसी अपनेपन में भी आज हर चीज़ पराई सी लगती है
हाथ की लकीरें ही कलिंग को किस्मत की बेवफ़ाई लगती है
क्या कहें ये ज़िंदगी हमे मौत की रुसवाई सी लगती है
-- Kalingaa...
वही बेजान इरादे वही बेरंग सवाल....
वही बेरूह कशाकश वही बेचैन खयाल....

-- Kalingaa...

Zara Ye Baat Bata (ज़रा ये बात बता...)

 फिर कभी सामने आ, ज़रा ये बात बता
अब कहाँ होगी महबूबा तुझसे मुलाक़ात बता

तू तो क़ाबिल है जो समझता है किताबों की ज़ुबान
काश मेरा चेहरा पढ़ सकता, मेरे दिल के हालत बता

बस हो जाए मुझे मेरी मोहब्बत की इंतेहा हासिल
तू आज मुझे कोई ऐसी दुआ, ऐसी कोई मन्नत बता

भूल जा आज तू हर गीले शिकवे, भूल जा हर ख़ाता
तुझे मुझसे इश्क़ है, चाहे सच चाहे झूठ, बस मुझे बता

फिर कभी सामने कलिंग के, ज़रा ये बात बता
अब कहाँ होगी महबूबा तुझसे मुलाक़ात बता


-- Kalingaa...

The Eternal Question...

To be, or not to be, that is the question:
Whether 'tis nobler in the mind to suffer
The slings and arrows of outrageous fortune,
Or to take arms against a sea of troubles,
And by opposing end them? To die, to sleep,
No more; and by a sleep to say we end
The heart-ache, and the thousand natural shocks
That flesh is heir to: 'tis a consummation
Devoutly to be wished. To die, to sleep;
To sleep, perchance to dream – ay, there's the rub:
For in that sleep of death what dreams may come,
When we have shuffled off this mortal coil,
Must give us pause – there's the respect
That makes calamity of so long life.
For who would bear the whips and scorns of time,
The oppressor's wrong, the proud man's contumely,
The pangs of despised love, the law’s delay,
The insolence of office, and the spurns
That patient merit of the unworthy takes,
When he himself might his quietus make
With a bare bodkin? Who would fardels bear,
To grunt and sweat under a weary life,
But that the dread of something after death,
The undiscovered country from whose bourn
No traveller returns, puzzles the will,
And makes us rather bear those ills we have
Than fly to others that we know not of?
Thus conscience does make cowards of us all,
And thus the native hue of resolution
Is sicklied o'er with the pale cast of thought,
And enterprises of great pitch and moment,
With this regard their currents turn awry,
And lose the name of action. Soft you now,
The fair Ophelia! Nymph, in thy orisons
Be all my sins remembered.

-- Kalingaa...

Mera Apna Tajurba Hai....

Another gem from Dr. Kumar Vishwas

मेरा अपना तजुर्बा है, तुम्हें बतला रहा हूँ मैं,
कोई लब छू गया था तब, के अब तक गा रहा हूँ मैं....

बिछूड़ के प्यार में कैसे जिया जाए बिना तडपे
जो मैं खुद नहीं समझा वही समझा रहा हूँ....

किसी पत्थर में मूरत है, कोई पत्थर की मूरत है,
लो हमने देखली दुनिया जो इतनी खूबसूरत है

ज़माना अपनी समझे पर मुझे अपनी खबर ये है,
तुझे मेरी ज़रूरत है, मुझे तेरी ज़रूरत है....
-- Kalingaa...

Nigaah (निगाह)

मुझसे जब किसीने पूछा
क्या तुमने कभी इश्क़ किया है
खामोश रहा, मैं कुछ जबाब ना दे सका
एक भूले बिसरे रिश्ते को नाम ना दे सका
हाँ, चला था मैं चार कदम उस ओर
जिस ओर वो रूपाली रहती थी
कुछ अरमान दिल में कलिंग ने बनाए थे
गुमनाम खत में अल्फ़ाज़ सलीके से सजाए थे
सोचा ही था कि वक़्त है अभी इज़हार में
उससे पहले ही आ गया वो मनहूस पल भी
वो क्षण चुपी का, अंतहीन विछोह का
वो क्षण बेवजह की तकरार का
उस तकरार में थे चारों और धब्बे खून के
मैं आ गया सामने उसके रास्ते में
वो थी, मैं था और मौत सा सन्नाटा
उस निगाह से आज भी मेरी रूह काँपती है
निगाह जो कलिंग के फौलाद को चिर गयी
और इस दिल को खंडहर सा तबाह कर गयी...
-- Kalingaa...

Zindagi Se Badi Saza...

ज़िन्दगी से बड़ी सज़ा ही नहीं,
और क्या जुर्म है पता ही नहीं|

इतने हिस्सों में बट गया हूँ मैं,
मेरे हिस्से में कुछ बचा ही नहीं|

ज़िन्दगी! मौत तेरी मंज़िल है
दूसरा कोई रास्ता ही नहीं

सच घटे या बड़े तो सच न रहे,
झूठ की कोई इन्तहा ही नहीं|

ज़िन्दगी! अब बता कहाँ जाएँ
ज़हर बाज़ार में मिला ही नहीं

जिसके कारण फ़साद होते हैं
उसका कोई अता-पता ही नहीं

धन के हाथों बिके हैं सब क़ानून
अब किसी जुर्म की सज़ा ही नहीं

कैसे अवतार कैसे पैग़म्बर
ऐसा लगता है अब ख़ुदा ही नहीं

उसका मिल जाना क्या, न मिलना क्या
ख्वाब-दर-ख्वाब कुछ मज़ा ही नहीं

जड़ दो चांदी में चाहे सोने में,
आईना झूठ बोलता ही नहीं|

अपनी रचनाओं में वो ज़िन्दा है
‘नूर’ संसार से गया ही नहीं
-  कृष्ण बिहारी 'नूर'
-- Kalingaa...

Thank You for NO Smoking...

Sometimes you feel to take your frustration out by the means which has not been tried by you. You turn to things which are addiction for most and revered by rest. There are some who would fight against the mood and few like me succumb to the temptation of black (or Grey whatever).


Not sure whether I could take this smoking once or I'll take it as replacement to my non-confrontational attitude. Still I took the challenge (or rather the escape route) and bought the pack of 20 (just for the scenario when I actually like it). When I lit the cig, I felt like burning everything I hated and detested for long. It seemed a moment long due for lotsa reasons and eve more so for the emotional outburst which I was suppressing.

When I took the inhale, everything became clear. It felt cowardice and flash of more such defeats of will-power came before my eyes. Next step was to take all the crap which would come in my way. It was something which I wouldn't accept not because of any other concerns but of ego. Nothing and nothing can intoxicate me except my own unbinding ego. I'll fuel my frustration with my ego and will burn it to take me to the moments of my destiny.

I still think that we all have some form of intoxication or other to be what we are. It makes us human and not some god-like-figure when we take some things which we are not proud of.

In an unknown poet's words:
कर्म में है नशा, धर्म में है नशा,
मर्म में है नशा, शर्म में है नशा,
सच पूछिए ज़नाब तो अधर्म में भी है नशा।
नशा ही नशा है हर चीज में है नशा॥

शोहरत में है नशा, दौलत में है नशा,
शोहबत में है नशा, मोहब्बत में है नशा,
सच पूछिए ज़नाब तो हुकूमत में है नशा।
नशा ही नशा है हर चीज में है नशा॥

ज़िन्दगी में है नशा, बन्दगी में है नशा,
सादगी में है नशा, पसन्दगी में है नशा,
सच पूछिए ज़नाब तो रंगीनगी में है नशा।
नशा ही नशा है हर चीज में है नशा॥
-- Kalingaa...

Tum Gorakhdhandha Ho.... Tum Khuda Ho....

Sourced from www.lalitkumar.in


YouTube Links:
Part 1: http://www.youtube.com/watch?v=5edSoBeKGho

Part 2: http://www.youtube.com/watch?v=tsTEVniH1lc

Part 3: http://www.youtube.com/watch?v=Xx2dPZGlPjo


कभी यहां तुम्हें ढूंढा, कभी वहां पहुंचा,
तुम्हारी दीद की खातिर, कहां कहां पहुंचा,
ग़रीब मिट गए, पामाल हो गए, लेकिन
किसी तलक ना तेरा आज तक निशां पहुंचा,
Sometimes I looked for you here, and some times there
To have your sight I’ve been ruined and I’ve everywhere
The dear ones vanished, but
No one got a lead to you
हो भी नहीं और हरजां हो
तुम एक गोरखधंधा हो
You are not, yet you are at every place,
You are a puzzle
हर जर्रे में किस शान से तू जलनानुमा है
हैरान हैं मगर अक्ल कि कैसा है तू क्या है
तुम एक गोरखधंधा हो
With what splendour you can be seen in every speck
But the mind is puzzled what you look like and what you are
You are a puzzle
तुझे दैरो-हरम में मैने ढूंढा तू नहीं मिलता
मगर तसरीफरमा तुझको अपने दिल में देखा है
तुम एक गोरखधंधा हो
I looked for you in the houses of worship, but couldn’t find you
Yet I found you residing in my heart,
You are a puzzle
ढूंढे नहीं मिले हो ना ढूंढे से कहीं तुम
और फिर ये तमाशा है, जहाँ हैं हम वहीं तुम
तुम एक गोरखधंधा हो
I couldn’t find you anywhere
But the spectacle is that You are there, where we are
You are a puzzle
जब बजुज़ तेरे कोई दूसरा मौजूद नही,
फिर समझ में नही आता तेरा परदा करना
तुम एक गोरखधंधा हो
If there is none but you
Then I cannot understand why veil Yourself
You are a puzzle
हरम--दैर में है जल्वा पुरफ़न तेरा
दो घरों का है चरागे-कुर्खन तेरा
तुम एक गोरखधंधा हो
You manifest-in the houses of worship
Your light is resplendent in these places
You are a puzzle
जो उल्फत में तुम्हारी खो गया है,
उसी खोए हुए को कुछ मिला है,
बुतखाने ना काबे में मिला है,
मगर टूटे हुए दिल में मिला है,
अदम बन कर कहीं तू छुप गया है
कही तू हस्त बन कर गया है
नहीं है तू तो फिर इंकार कैसा,
नफीदी तेरे होने का पता है
मैं जिसको कह रहा हूं अपनी हस्ती
अगर वो तू नहीं तो और क्या है
नहीं आया ख्यालों में अगर तू
तो फिर मैं कैसे समझा तू खुदा है !
तुम एक गोरखधंधा हो
He who is lost in your love,
He is rewarded
You could not be found either in a temple or Ka’bah
But you could be found in a broken heart
Sometimes you are hidden as non-existence
and somewhere you appear as existence
If you are not then why deny?
Even the negation confirms your existence
The one I call my Existence who is that if not you?
If you didn’t come in my thoughts
Then how did I learn you are God?
You are a puzzle
हैरान हूं इस बात पर तुम कौन हो क्या हो
हाथ आओ तो बुत हाथ ना आओ तो खुदा हो
तुम एक गोरखधंधा हो
What puzzles me is who and what are You
You’re an idol when You come by and if not then You are God
You are a puzzle
अक्ल में जो घिर गया लाइनतहा क्योंकर हुआ
जो समझ में गया फिर वो खुदा क्योंकर हुआ
तुम एक गोरखधंधा हो
How did the one who entered wisdom could become Everlasting?
How did one who comes into mind’s grasp become God
You are a puzzle
फलसफी को बहस के अंदर खुदा मिलता नहीं
डोर को सुलझा रहा है और सिरा मिलता नहीं
तुम एक गोरखधंधा हो
The philosopher doesn’t find God in an argument
He is trying to untangle the cord but cannot find the top
You are a puzzle
पता यूं तो बता देते हो सबको ला-मकां अपना
ताज्जुब है मगर रहते हो तुम टूटे हुए दिल में
तुम एक गोरखधंधा हो
You tell all You are homeless
But surprisingly You dwell in a broken heart
You are a puzzle
जब के तुझ बिन कोई नहीं मौजूद
फिर ये हंगामा खुदा क्या है
तुम एक गोरखधंधा हो
If there is none but You O God,
Then what is all this commotion about?
You are a puzzle
छुपते नहीं हो सामने आते नहीं हो तुम
जलवा दिखा के जलवा दिखाते नहीं हो तुम
दैरोहरम के झगड़े मिटाते नहीं हो तुम
जो अस्ल बात है वो बताते नहीं हो तुम
हैरान हूं मेरे दिल में समाए हो किस तरह
हालांकि दो जहां में समाते नहीं हो तुम
ये माबदोहरम ये कलीसाओदैर क्यूं ?
हरजाई हो जबी तो बताते नहीं हो तुम
तुम एक गोरखधंधा हो
You don’t hide, You don’t show Yourself
You show the manifestation but don’t show Yourself
You don’t remove the conflicts of the manner of worship
You don’t reveal the exact things
I’m surprised how You accommodated in my heart?
When the two worlds are not enough for You
You are in the houses of worship
You are faithless for not showing Your countenance
You are a puzzle
दिल पर हैरत ने अजब रंग जमा रखा है
एक उलझी हुई तस्वीर बना रखा है
कुछ समझ में नहीं आता कि ये चक्कर क्या है
खेल क्या तुमने अज़ल से ये रचा रखा है
रुह को जिस्म के पिंजरे का बना कर क़ैदी
उस पर फिर मौत का पहरा भी बिठा रखा है
देके तदवीर के पंछी को उड़ाने तूने
दामे तकबीर भी हरसंत बिछा रखा है
करके आरायशी को नैनकी बरसों तुमने
ख़त्म करने का भी मंसूबा बना रखा है
लामकानी का भी बहरहाल है दावा भी तुम्हें
नानो अकरब का भी पैग़ाम सुना रखा है
ये बुराई, वो भलाई, ये जहन्नुम, वो बहिश्त
इस उलटफेर में फरमाओ तो क्या रखा है
जुर्म आदम ने किया और सज़ा बेटों को
अदलो इंसाफ का मियार भी क्या रखा है
देके इंसान को दुनिया में खलाफत अपनी
इक तमाशा सा जमाने में बना रखा है
अपनी पहचान की ख़ातिर है बनाया सबको
सबकी नज़रो से मगर खुदको छुपा रखा है
तुम एक गोरखधंधा हो
The puzzle taken strange possession of my heart
A confused picture it’s drawn within it
I do not understand what all this puzzle is
What is this game You’ve been playing since the beginning of time
You made the soul the prisoner of the body’s cage and then put the guard of death on it
You make the bird of contrivance fly ‘ yet you’ve spread the net of fate everywhere
For years you adorned the world and hereafter yet you have also made the plan of destruction
Though you claim to be homeless
Yet you preached about home, kith and kin
This is bad, this good, this is hell, this is heaven
Please tell me what is in this perplexity?
For Adam’s crime you punish his children
Is that the standard of your justice?
By giving the earthly vicegerency to the man,
You have made it into a spectacle
For Your own recognition you created all
But you hide yourself from all
You are a puzzle
नित नए नक्श बनाते हो मिटा देते हो
जाने किस जुर्मेतमन्ना की सज़ा देते हो
कभी कंकड़ को बना देते हो हीरे की कणी,
कभी हीरों को भी मिट्टी में मिला देते हो
जिंदगी कितने ही मुर्दों को अता की जिसने
वो मसीहा भी सलीबों पे सजा देते हो
ख्वाहिशेदीद जो कर बैठे सरेतूर कोई
तूर ही बरके तजल्ली से जला देते हो
नारेनमरुद में डलवाते हो फिर खुद अपना ही खलील
खुद ही फिर नार को गुलजार बना देते हो
चाहे किन आन में फेंको कभी महिनकेन्हा
नूर याकूब की आंखो का बुझा देते हो
लेके यूसुफ को कभी मिस्र के बाज़ारों में
आख़िरेकार शहे-मिस्र बना देते हो
जज़्बे मस्ती की जो मंज़िल पर पहुंचता है कोई
बैठ कर दिल में अनलहक की सज़ा देते हो
खुद ही लगवाते हो फिर कुफ्र के फतवे उस पर
खुद ही मंसूर को सूली पे चढ़ा देते हो
अपनी हस्ती भी वो एक रोज़ गवां बैठता है
अपने दर्शन की लगन जिसको लगा देते हो
कोई रांझा जो कभी खोज में निकले तेरी
तुम उसे जंग के बेले में रुला देते हो
जूस्तजू लेकर तुम्हारी जो चले कैस कोई
उसको मजनूं किसी लैला का बना देते हो
जोतसस्सी के अगर मन में तुम्हारी जागे
तुम उसे तपते हुए थल में जला देते हो
सोहनी गर तुमको महिवाल तस्सवुर करले
उसको बिफरी हुई लहरों में बहा देते हो
खुद जो चाहो तो सरेअस्र बुला कर मेहबूब
एक ही रात में मेहराज़ करा देते हो
तुम एक गोरखधंधा हो
You draw and erase yourself
I don’t know which crime of desire you punish us
Sometimes you’ll turn a pebble into a diamond
Other times you’ll turn a diamond into dust
The one who revived many dead
You made him to adorn the crucifix
The one that longed to have your sight on the Mount Sinai
You reduced the Mount to ashes with the Lightning of your Manifestation
You wished Abraham to be thrown into Nimrud’s Fire
Then you turned that fire into flowers yourself
Sometimes you throw a Canaanite into the well of Canaanites
And then deprive Jacob of his sight
You make Joseph to be put into the slave-mart of Egypt
And then you also make him the king of Egypt
When someone reaches to the destination of higher spirituality
You make him to voice: I’m the Truth
Then allow the verdicts of infidelity against Him
You send yourself Mansoor to the crucifix
One day he too loses his life
Whom You make to see Your sight
If a Ranjha goes in Your quest
You make him in the charity of Jhang
If some Majnun goes in Your quest
You make him a beloved of some Laila
If Your love awakens in Sassi’s heart
You scorch her in a burning desert
If Sohni imagined you as her Mahinval
You drowned her into the ragging currents
You do as You wish by summoning to the Heaven
And in a single night You can make the Prophet’s Accession to Heaven
You are a puzzle
आप ही अपना पर्दा हो
तुम एक गोरखधंधा हो
You’re Your Veil
You are a puzzle
जो कहता हूं माना तुम्हें लगता है बुरा सा
फिर है मुझे तुमसे बहरहाल गिला सा
चुपचाप रहे देखते तुम अर्से बरी पर
तपते हुए कर्बल में मोहम्मद का नवासा
किस तरह पिलाता था लहू अपना वफा को
खुद तीन दिनों से अगर वो चे था प्यासा
दुश्मन तो बहुत और थे पर दुश्मन मगर अफ़सोस
तुमने भी फराहम ना किया पानी ज़रा सा
हर जुर्म की तौफीक है जालिम की विरासत
मजलूम के हिस्से में तसल्ली ना दिलासा
कल ताज सजा देखा था जिस शख्स के सर पर
है आज उसी शख्स के हाथों में ही कांसा
ये क्या अगर पूछूं तो कहते हो जवाबन
इस राज़ से हो सकता नहीं कोई शनासा
तुम एक गोरखधंधा होतुम एक गोरखधंधा हो
तुम एक गोरखधंधा हो
I accept what I say You mind it a little
But still I’ve a little complaint to make
You sat quiet on your Throne and watched Muhammad’s grandson the scorching desert of Karbala
How he was giving his blood for Your Love though he was thirsty for three days
His enemies were after all enemies, but it’s sad even you didn’t
provide him with a little Water
Every favour of oppression is the inheritance of the oppressor
But the oppressed is neither consoled nor comforted
Yesterday he who had a crown on his head
Today I see him with a begging bowl
What is this? If I ask, your answer is
That no one can get acquainted with this secret
You are a puzzle
हैरत की एक दुनिया हो
तुम एक गोरखधंधा हो
You are a world of astonishment
You are a puzzle
हर एक जां पे हो लेकिन पता नीं मालूम
तुम्हारा नाम सुना है, निशां नहीं मालूम
तुम एक गोरखधंधा हो
You are Omnipresent but I do not know where
I have heard your name but I do not know your location
You are a puzzle
दिल से अरमां निकल जाए तो जुगनू हो जाए
आंखो में सिमट आए तो आंसू हो जाए
जां पे यां हू का बे हू करे जो हू में खो कर
उसको सुल्तानियां मिल जाए वो बाहू हो जाए
बाल भी बांका ना हो किसी का छुरी के नीचे
असगर में कभी तीर तराज़ू हो जाए
तुम एक गोरखधंधा हो
Once the heart’s wish is fulfilled it glows
And when eyes are gratified they are filled With tears
When a person is lost in spiritual love
He is elevated and becomes like Bahu the poet
No one comes to harm under a dagger
But the arrow in an infant’s throat becomes the scale of justice
You are a puzzle
किस कद्र बेनियाज़ हो तुम भी
दास्ताने-नियाज़ हो तुम भी
तुम एक गोरखधंधा हो
How carefree you are.
A long story you are
You are a puzzle
रूह को जिस्म के पिंजरे का बनाकर कैदी
उसपे फिर मौत का पहरा भी बिठा रखा है!
ये बुराई, वो भलाई, ये जहन्नुम, वो बहिश्त
इस उलट-फेर में फ़र्माओ तो क्या रखा है?
अपनी पहचान की खातिर है बनाया सबको
सबकी नज़रों से मगर खुद को छुपा रखा है!
तुम एक गोरखधंधा हो

राह--तहक़ीक़ में हर ग़ाम पे उलझन देखूँ
वही हालात--खयालात में अनबन देखूँ
बनके रह जाता हूँ तसवीर परेशानी की
ग़ौर से जब भी कभी दुनिया का दर्पन देखूँ
एक ही ख़ाक़ पे फ़ित्रत के तजादात इतने!
इतने हिस्सों में बँटा एक ही आँगन देखूँ!
कहीं ज़हमत की सुलग़ती हुई पत्झड़ का समा
कहीं रहमत के बरसते हुए सावन देखूँ
कहीं फुँकारते दरिया, कहीं खामोश पहाड़!
कहीं जंगल, कहीं सहरा, कहीं गुलशन देखूँ
ख़ून रुलाता है ये तक़्सीम का अन्दाज़ मुझे
कोई धनवान यहाँ पर कोई निर्धन देखूँ
दिन के हाथों में फ़क़त एक सुलग़ता सूरज
रात की माँग सितारों से मुज़ईय्यन देखूँ
कहीं मुरझाए हुए फूल हैं सच्चाई के
और कहीं झूठ के काँटों पे भी जोबन देखूँ!
रात क्या शय है, सवेरा क्या है?
ये उजाला, ये अंधेरा क्या है?
मैं भी नायिब हूँ तुम्हारा आख़िर
क्यों ये कहते हो केतेरा क्या है?”
तुम इक गोरखधंधा हो
Inquiring about you cause confusion at Every step
I see discord between the circumstances and Ideas
I become a picture of distress
Whenever I see in the mirror of the world
I see so many contradictions in a single eye
I see one place divided into so many parts
Somewhere I see the autumnal smoke of hardship and somewhere I see the monsoon showers of blessing
Here I see hissing rivers and there silent Mountains
Here I see a forest, there I see a desert and somewhere else I see a
garden
This style of division writhes me
I see some rich and some poor here
In Day’s share, I see only one sun shinning
While the night is bedecked with millions of stars
Here I see the withered flowers of truth
There I see the thorns of lies abloom
Somewhere I see Shamas skinned alive
Somewhere I see Sarmad’s head severed
What is night? What is morning?
What is light? What is darkness?
After all I’m also your deputy,
Why You say “what is yours?”
You are a puzzle
देखने वाला तुझे क्या देखता
तूने हर रंग से पर्दा किया है
तुम इक गोरखधंधा हो
What would a person see of you?
You are veiled in every way
You are a puzzle
मस्ज़िद मंदिर ये मयख़ाने
कोई ये माने कोई वो माने
सब तेरे हैं जाना पास आने
कोई ये माने कोई वो माने
इक होने का तेरे कायिल है
इंकार पे कोई माईल है
असलियत लेकिन तू जाने
कोई ये माने कोई वो माने
एक खल्क में शामिल रहता है
एक सबसे अकेला रहता है
हैं दोनो तेरे मस्ताने
कोई ये माने कोई माने
हे सब हैं जब आशिक तुम्हारे नाम का
क्यूं ये झगड़े हैं रहीमो-राम के
तुम एक गोरखधंधा हो….
These mosques, temples and taverns
Some believe in this and some believe in that
All are your abodes dear,
Some believe in this and some believe in that
We are convinced of your Oneness
Someone leans towards negation
But You know the truth
Someone believes in this and someone believes in that
One includes him with the creation
The other stays aloof from all
Both are Your devotees
Some believe in this and some believe in that
If all are the devotees of your name
Then why the conflict of your names?
You are a puzzle
दैर में तू हरम में तू, अर्श पे तू ज़मीं पे तू
जिसकी पहुंच जहाँ तलक उसके लिए वीं पे तू
हर इक रंग में यक़्ता हो
तुम एक गोरखधंधा हो
You are in every house of worship
You are in both the worlds wherever one is
You are there for him
In everywhere You are Unique
You are a puzzle
मरकजे जूस्तजू आलमे रंगवू तमवदन जलवगर
तू ही तू जारसू टूटे बाहाद में कुछ नहीं इल्लाहू
तुम बहुत दिलरुबा तुम बहुत खूबरू
अर्ज की अस्मतें फर्श की आबरु
तुम हो नैन का हासने आरजू
आंख ने कर कर दिया आंसुओ से वजू
अब तो कर दो अता दीद का एक सगुन
आओ परदे से तुम आँख के रुबरु
चंद लमहे मिलन दो घड़ी गुफ्तगू
नाज जबता फिरे जादा जातू
बकू आहदाहू आहदाहू
हे लासरीकालाहू लासरीकालाहू
अल्लाहू अल्लाहू अल्लाहू अल्लाहू
You are the centre of our quest, the world of colour and scent
You manifest all the time, You are Omnipresent
In Bahu’s surrounds there is only You
You are the beloved, very Handsome
You are the Glory and Honour of the Heavens
You are the gain of longings of the two worlds
You gave eyes and makes us perform ablution with the tears
Now give us a flask of your manifestation
Come out of the veil before me
For a short meeting and a conversation
Naaz will tell his beads place to place, street to street
Allah is one, He has no partner
Allahu, Allahu, Allahu



-- Kalingaa...