हम ना समझे थे बात इतनी सी-- Kalingaa...
ख्वाब शीशे के, दुनिया पत्थर की
आरज़ू हमने की तो गम पाए
आरज़ू हमने की तो गम पाए
रोशनी साथ लाई थी साए
साए गहरे थे, रोशनी हल्की
हम ना समझे थे बात इतनी सी
ख्वाब शीशे के, दुनिया पत्थर की
सिर्फ़ वीरानी सिर्फ़ तन्हाई
सिर्फ़ वीरानी सिर्फ़ तन्हाई
ज़िंदगी हमको ये कहाँ लाई?
खो गयी हमसे राह मंज़िल की
हम ना समझे थे बात इतनी सी
ख्वाब शीशे के, दुनिया पत्थर की
क्या कोई बेचे क्या कोई बाँटे
क्या कोई बेचे क्या कोई बाँटे
अपने दामन में सिर्फ़ हैं काँटे
और दुकानें हैं सिर्फ़ फूलों की
हम ना समझे थे बात इतनी सी
ख्वाब शीशे के, दुनिया पत्थर की
Hum Na Samjhe The...
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