Khud Se bhi Khafa Hun (खुद से भी खफा हूँ)...

वक़्त ने सब कुछ दिया, फिर भी कलिंग सा अधूरा हूँ
जान लो कि ज़ज़्बात, दिल और सीरत से भी बुरा हूँ

गुमनाम इस दुनिया में ही नहीं, खुद से भी खफा हूँ
मत कर मुझसे अहसास की आस, मैं तो बेवफा हूँ

खुद से दूर होते होते अंदर कुछ टूट सा गया है
इस रफ़्तार की ज़िंदगी में हर अपना छूट सा गया है

चारों तरफ दौड़ती भीड़ में तन्हाई सी लगती है
किसी अपनेपन में भी आज हर चीज़ पराई सी लगती है
हाथ की लकीरें ही कलिंग को किस्मत की बेवफ़ाई लगती है
क्या कहें ये ज़िंदगी हमे मौत की रुसवाई सी लगती है
-- Kalingaa...

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