शाम से आँख में नमी सी है
आज फिर आप की कमी सी है
शाम से आँख में नमी सी है
दफ़न करदो हमें के कुछ साँस मिले
नब्ज़ कुछ देर से थमी सी है
आज फिर आप की कमी सी है
वक़्त रुकता नहीं कहीं टिक कर
इसकी आदत भी आदमी सी है
इस की आदत भी आदमी सी है
आज फिर आप की कमी सी है
कोई रिश्ता नहीं रहा फिर भी एक तस्वीर लाजमी सी है
शाम से आँख में नमी सी है
आज फिर आप की कमी सी है
-- Kalingaa...
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