Questions were different but noone realized it... What was thought of us was not what was the truth...
दिलके झरोखे में तुझको बिठाकर....-- Kalingaa...
यादों को तेरी मैं दुल्हन बनाकर....
रखूँगा मैं दिल के पास....
मत हो मेरी जान उदास....
कल तेरे जलवे पराए भी होंगे
लेकिन झलक मेरे ख्वाबों में होगी
फूलों की डोली में होगी तू रुखसत
लेकिन महक मेरी साँसों में होगी
दिलके झरोखे में तुझको बिठाकर....
यादों को तेरी मैं दुल्हन बनाकर....
अब भी तेरे सुर्ख होंठों के प्याले
मेरे तसवउर में साक़ी बने है
अब भी तेरी ज़ुलफ के मस्त साए
बिरहा की धूप में साथी बने है
दिलके झरोखे में तुझको बिठाकर....
यादों को तेरी मैं दुल्हन बनाकर....
मेरी मोहब्बत को ठुकरा दे चाहे
मैं कोई तुझसे ना शिकवा करूँगा
आँखों में रहती हैं तस्वीर तेरी
सारी उमर तेरी पूजा करूँगा
दिलके झरोखे में तुझको बिठाकर....
यादों को तेरी मैं दुल्हन बनाकर....
रखूँगा मैं दिल के पास....
मत हो मेरी जान उदास....
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