दिल की चौखट पे एक दिया जला रखा है
तेरे लौके आने का अरमान सज़ा रखा है
रुत जाते हो तुम तो और ग़ज़ब लगते हो
हमने इसीलिए आपको हमसे खफा रखा है
तुम जिसे तन्हा रोता छोड़ गये थे एक दिन
हमने आज भी उस शाम को सीने से लगा रखा है
चैन नहीं लेने देता है ये लम्हा हमें
तेरे यादों ने जो एक तूफान सा उठा रखा है
जाने वाले आते हैं कभी भी तो लौटकर
बस एक इसी आस पे दरवाज़ा खुला रखा है
तेरे जाने से जो धूल का बवंडर उठा था
हमने उन गमों की धूल को आँखों में बसा रखा है
मुझे कल शाम से वो बहुत याद आती है
दिल ने मुद्दत से जो अक्स भुला रखा है
-- Keep hopes for light at other end of tunnel
-- Kalingaa...
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