फिर कभी सामने आ, ज़रा ये बात बता
महबूब मेरे, अब कहाँ होगी तुझसे मुलाक़ात बता
तू तो काबिल है जो समझता है अनकही ज़ुबान
काश मेरा चेहरा पढ़ सकता, मेरे दिल के हालत बता
बस हो जाए मुझे मेरी मोहब्बत की इंतहा हासिल
तू आज मुझे कोई ऐसी दुआ, ऐसी कोई मन्नत बता
भूल जा आज तू हर गीले शिकवे, भूल जा हर छोटी सी खता
तुझे मुझसे इश्क़ है, चाहे सच हो, चाहे झूठ ही बता
फिर कभी सामने आ, ज़रा ये बात बता....
-- Kalingaa...
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