उसे हमने बहुत ढूँढा न पाया
अगर पाया तो खोज अपना न पाया
जिस इंसान को सगे-दुनिया न पाया
फ़रिश्ता उसका हमपाया न पाया
मुक़द्दर से ही गर मोलभाव किया है
तो हमने यहाँ न कुछ खोया न पाया
अहाते से फ़लक़ के हम तो कब के
निकल जाते मगर रस्ता न पाया
जहाँ देखा किसी के साथ देखा
कहीं हमने तुझे तन्हा न पाया
किया हमने सलामे-इश्क़ तुझको!
कि अपना हौसला इतना न पाया
न मारा तूने पूरा हाथ क़ातिल!
सितम में भी तुझे पूरा न पाया
कब्र में भी तेरे इश्क़ से आराम
ख़ुदा जाने कि पाया या न पाया
कहे क्या हाय ज़ख़्मे-दिल हमारा
ज़ेहन पाया ज़बान का हुनर न पाया
-- Kalingaa...
No comments:
Post a Comment