दिलों में तुम अपनी बेताबियाँ लेके चल रहे हो तो ज़िंदा हो तुम
नज़र में ख्वाबों की बिजलियाँ लेके चल रहे हो तो ज़िंदा हो तुम
हवा के झोंकों के जैसे आज़ाद रहना सीखो
तुम एक दरिया के जैसे लहरों में बहना सीखो
हर एक लम्हे से तुम मिलो खोले अपनी बाहें
हर एक पल एक नया समा देखें यह निगाहें
जो अपनी आँखों में हैरानीयाँ लेके चल रहे हो तो ज़िंदा हो तुम
दिलों में तुम अपनी बेताबियाँ लेके चल रहे हो तो ज़िंदा हो तुम
नज़र में ख्वाबों की बिजलियाँ लेके चल रहे हो तो ज़िंदा हो तुम
हवा के झोंकों के जैसे आज़ाद रहना सीखो
तुम एक दरिया के जैसे लहरों में बहना सीखो
हर एक लम्हे से तुम मिलो खोले अपनी बाहें
हर एक पल एक नया समा देखें यह निगाहें
जो अपनी आँखों में हैरानीयाँ लेके चल रहे हो तो ज़िंदा हो तुम
दिलों में तुम अपनी बेताबियाँ लेके चल रहे हो तो ज़िंदा हो तुम
To Be Continued...
-- Kalingaa...
Thanks for the poem.
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