Man of Steel

This poem is written during Indo-China War 1965 by one of greatest hindi poet "Ramdhari Singh Dinkar". It speaks for more courage from india and not honour.

पुरुष वीर बलवान,
देश की शान,
हमारे नौजवान
घायल होकर आये हैं।

कहते हैं, ये पुष्प, दीप,
अक्षत क्यों लाये हो?

हमें कामना नहीं सुयश-विस्तार की,
फूलों के हारों की, जय-जयकार की।

तड़प रही घायल स्वदेश की शान है।
सीमा पर संकट में हिन्दुस्तान है।

ले जाओ आरती, पुष्प, पल्लव हरे,
ले जाओ ये थाल मोदकों ले भरे।

तिलक चढ़ा मत और हृदय में हूक दो,

दे सकते हो तो गोली-बन्दूक दो।

- Ramdhari Singh "Dinkar"
-- Keep the courage to fight against mightiest
- - Kalingaa..

No comments:

Post a Comment