हसरतें थीं कि हम भी अकेले ही ज़माना बदल सकते हैं
ज़मीन को खूबसूरत बना देंगे, आसमानों को भी रंग दें...
तन्हा चले थे कलिंग चूँकि राह पर तो मंज़िल ना पा सके
अब भी फिर सपने जगा सकते हैं अगर आप संग दें...
सफ़र में धूप तो बहुत होगी अगर तुम निकल सको तो चलो
सभी हैं कलिंग की राह में अगर तुम भी चल सको तो चलो...
यहाँ कोई भी किसी को रास्ता नहीं देता कलिंग मेरे
मुझे गिराकर भी अगर तुम संभल सको तो चलो...
-- Kalingaa...
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