pooranmaashi...

इक रात चलो तामिर करें, खामोशी के संगमरमर पर
हम तान कर चद्दर सिर पर, दो शमायें जलाएँ जिस्मो की
जब ओस दबे पावोँ उतरे, आहट भी ना पाए साँसों की
कोहरे की रेशमी खुसबु में, खुसबु की तरह ही लिपटे रहें
और जिस्म के सौंधें परतोँ में, रूहों की तरह लहराते रहें
इक रात चलो तामिर करें, खामोशी के संगमरमर पर
 -- Kalingaa...

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