सुना था वक़्त मरहम है, हर ज़ख़्म भुला देता है
हर गुज़रा लम्हा हम को तो, एक ज़ख़्म नया देता है....
रात की रानी है या तेरी यादों की खुश्बू
कुछ तो है जो आँगन मेरे एहसास को महका देता है....
अगर तेरे ख़यालों में खो कर नींद आ भी जाए
आकर ख्वाबों में तेरा तस्सवुर हम को जगा देता है....
खुश होते हैं तस्सवुर में तुमें क़रीब देख कर
शायद मिल ना पाएँ हम कभी, ये ख़याल सहमा देता है....
दिल बहुत नाज़ुक है, गमों से भर ना आए क्यूँ
पत्थर पे चोट लगे तो वो भी सज़ा देता है....
दुश्मन है ज़माना मोहब्बत करने वालों का अजल से
इन दूरियों, ज़ुदाइयों का एहसास कलिंग को रुला देता है....
-- Kalingaa...
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