Aaj Dil Ki Ragon Ko Jalaa De Saqi.....

    आज दिल की रागों को जला दे साक़ी
    ज़हर शराब में मिला दे साक़ी

    इक ऐसा पिला के दूसरा ना मांगू
    तड़पती रूह को सुला दे साक़ी

    प्यासा लौटा हूँ बाज़म-ए-हुस्न से
    थोड़ी आँखों से पीला दे साक़ी

    मेरे ख़यालों ने लूटा है मुझको
    कम्बख़्त जहाँ को हिला दे साक़ी

    गम के मारे हैं बोतल से पिएँगे
    तू प्याला-ओ-सागर भुला दे साक़ी

    तेरे सर की बलाएँ लेगा मयकश
    मेरा यार मुझसे मिला दे साक़ी
-- Kalingaa...

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