Jab Sheher Hamara So Gayo (तब शहर हमारा सोता है)...

An apt song (Movie : Gulaal) for current socio-political situation in India
आए एक वक़्त की बात बताए, एक वक़्त की,
जब शहर हमारा सो गयो थो, वो राज गजब की

चहुँ और, सब और दिशा से लाली छाई रे
जुगनी नाचे चुनर ओढ़े, खून नहाई रे

सब ओर गुलाल पुत गयो, सब ओरों में
सब ओर गुलाल पुत गयो, विपदा छाई रे
जिस रात गगन से खून की बारिश आई रे
जिस रात शहेर में खून की बारिश आई रे
जिस रात गगन से खून की बारिश आई रे
जिस रात शहेर में खून की बारिश आई रे

सराबोर हो गयो शहर और सराबोर हो गयी धरा
सराबोर हो गयो रे जत्था इंसानो का बड़ा बड़ा
सभी जगत यह पूछे था, जब इतना सब कुछ हो रियो थो
तो शहर हमारा काहे भाईसाब आँख मूंद के सो रियो थो
तो शहर यह बोलियो नींद गजब की ऐसी आई रे
जिस रात गगन से खून की बारिश आई रे
जिस रात शहेर में खून की बारिश आई रे

सन्नाटा वीराना खामोशी अंजानी
ज़िंदगी लेती है करवाते तूफ़ानी
घिरते है साए घनहरे से
रूखे बालों को बिखेरे से
बढ़ते है अंधेरे पिशाचों से
काँपे है जी उनके नाचो से
कहीं पे वो जूतो की खट खट है
कहीं पे अलावों की छट पट है
कहीं पे है झींगुर की आवाज़ें
कहीं पे वो नलके की टप टप है
कहीं पे वो काली सी खिड़की है
कहीं वो अंधेरी सी चिमनी है
कहीं हिलते पेड़ों का जत्था है
कहीं कुछ मुंदेरो पे रक्खा है
सुनसान गॅली के नुक्कड़ पे जो कोई कुत्ता चीख चीख कर रोता है
जब लैंप पोस्ट की गंदली पीली घुप रोशनी में कुछ कुछ सा होता है
जब कोई साया खुद को थोड़ा बचा बचा कर गुम सायो में खोता है
जब पूल के खंभो को गाड़ी का गर्म उजाला धीमे धीमे धोता है
तब शहर हमारा सोता है, तब शहर हमारा सोता है

तब शहर हमारा सोता है
तो मालूम तुमको, हाँ क्या क्या होता है
इधर जागती है लाशें, ज़िंदा हो मुर्दा
उधर ज़िंदगी खोता है, इधर चीखती है दहुआ
खैराती उस अस्पताल में बिफरी सी, आँख में उसके अगले ही पल
गरम माज़ का नरम लोथड़ा होता है,
इधर उठी हर टकरारें, जिस्मो के झटपट लेन देन में उँची सी,
उधर घाव से रिस्ते फूंको, डोर गुज़रती आखें देखे रूखी सी,
लेकिन उसको लेके रंग बिरंगे, मालों में गुण जाई, शोती है
नशे में डूबे सहन से ख़ूँख़ार चुटकुलो की पैदाइश होती है
अधनंगे जिस्मो की देखो, लिपि पटी से लगी नुमाइश होती है,
लार टपकते चेहरो को कुछ शैतानी करने की ख्वाहिश होती है,
वो पूछे है हैरान होकर ऐसा सब कुछ होता है कब,
वो बतालो तो उनको ऐसा तब तब तब तब होता है
तब शहर हमारा सोता है, तब शहर हमारा सोता है
तब शहर हमारा सोता है, तब शहर हमारा सोता है
-- Kalingaa...

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