मेरे साकी (Mere Saaqi)...

The following came out from a facebook conversation between me and my friend...
आज दिल की रागों को जला दे साक़ी, ज़हर शराब में मिला दे साक़ी.....

इक ऐसा पिला के दूसरा ना मांगू, तड़पती रूह को सुला दे साक़ी....

नींद ऐसी हो की टूटे ना कभी, बेशक़ जिस्म को तड़पने दे साकी....

मेरे ख़यालों ने लूटा है मुझको, कम्बख़्त जहाँ को हिला दे साक़ी.....

या सोने दे मुझे और जागे सारा जहाँ, या सोए सारा जहाँ, जागने दे मुझे साकी....

गम के मारों को बोतल से पीने दे... आज प्याले और पैमाने भुला दे साकी.....

जी जी के बुरा हाल हुआ साकी, मुझे तू अब मारना सीखा दे आए साकी....

जो कुछ सीखा हमने वो सब भूलना है... ज़िंदगी का नया ही सबक कोई बतला दे साकी....

सबा को छोड़, तू मंज़िल को छोड़... बस दिल को बहलना सीखा दे साकी....

रहने दे गीता क़ुरान का इल्म... दिल का राज़ छुपाना सीखा दे साकी.....

याद रखूँगा तो मार ही जाऊँगा, तू मुझे सब भूलना सीखा दे साकी....

और कुछ ना बन पाए तुझसे तो जाने दे, तू मुझे बस सोना सीखा दे आए साकी....

मैं चला भी जाऊं इस मयकदे से तेरे, मेरी जगह किसी और दिलजले को पीला दे साकी...

कुछ कम सा होता जाता है, ला मेरे अश्क इसमे मिला दे साकी....
-- Kalingaa & a dear friend...

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