Randoms...

दिल का आना था कि काबू से था जाना दिल का
ऐसे जाने से तो बेहतर था ना आना दिल का
हम तो कहते थे, मुहब्बत की बुरी हैं रस्में
खेल समझे थे मेरी जान, हम लगाना दिल का

------------------------------------------

साज़ से जो तान निकली वो हर किसी ने सुनी
साज़ पे जो गुज़री है वो किसी दिल से ना सुनी
लोग कहते हैं कि ये हमारी हँसी चिरस्थायी है
वो ना जानें कि हमने चुपके से नकली बनाई है

 -- Kalingaa...

No comments:

Post a Comment