Yah Kya Ho Raha Hai....

Something from pages of Akbar Allahabadi.....
कोई हँस रहा है, कोई रो रहा है
कोई पा रहा है, कोई खो रहा है

कोई ताक में है, किसी को है गफ़लत
कोई जागता है, कोई सो रहा है

कहीँ नाउम्मीदी ने बिजली गिराई
कोई बीज उम्मीद के बो रहा है

इसी सोच में मैं तो रहता हूँ 'अकबर'
यह क्या हो रहा है, यह क्यों हो रहा है
-- Kalingaa...

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