Phir Kuch Alfaz Jaam Ke Naam....

दिन भर धूप का परबत काटा, रात को पीने निकले.... कसम तुमको जो ज़ाम से एक बूँद भी छलके....

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मत हो नाराज़, मत हो खफा, मेरे साक़ी... जीतने हैं मैं आँसू पिए, उतनी शराब नहीं पी...

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ज़िंदगी हज़ार मोड़ ले, जीतने चाहे आयाम ले... प्यार एक बार होता है, बाकी सब निभाने के तरीके हैं...

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यह ज़ुबान हमसे सी नहीं जाती... ज़िंदगी है के जी नहीं जाती...

एक आदत सी बन गयी है तू... और आदत कभी नहीं जाती...

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ज़िंदगी तेरे हर एक मोड़ पे करामात नज़र आते हैं....
उम्मीद कुछ करता हूँ, कुछ और ही हालात नज़र आते हैं....

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खता हो गयी है तो सज़ा सुना दो, दिल मे इतना दर्द क्यो है वजह बता दो....
देर हो गयी है याद करने मे ज़रूर,लेकिन, तुमको भुला देंगे ये ख्याल दिल से मिटा दो !

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-- Kalingaa...

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