टुकड़े टुकड़े दिन बीता, लम्हा लम्हा रात मिली-- Kalingaa...
जिसका जितना आँचल था, उतनी ही सौगात मिली
जब चाहा दिल को समझें, हँसने की आवाज़ सुनी
जैसे कोई कहता हो ले फिर तुझ को मात मिली
मातें कैसी, घातें क्या, चलते रहना आठ पहर
दिल भाया साथी जब पाया, बैचनी भी साथ मिली
-Meena Kumari
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